अनुभूति 04
आजकल ,,जबरदस्ती तुकबंदी करके ,कविता लिखने का प्रचलन शुरू हो गया है।
ज्ञात हो,,
एक तरफ अध्ययन ज्ञान और अनुभव कविता में निहित होती है तो दूसरी तरफ़ एहसासों को अभिव्यक्त करने की कला।
किसी रचनाकार के रचना पर अगर सही किंतु उनके विचार के विपरीत टिपण्णी की जाए तो वो एक सफेद झूठ बोलकर पल्ला झाड़ते दिखते हैं... कि मैं केवल आत्म सुख शांति के लिए कविता लिखता हूं किसी और के लिए नहीं
ऐसे में उन्हें निशुल्क सलाह दूंगा कि अपनी बेतुकी रचना को डायरी में ही रहने दें प्रकाशित न करें कहीं भी।
मुझे झूठी वाह बोलने में भारी समस्या है मैं साहित्य को भ्रमित नहीं कर सकता।
जो रचनाकार स्वयं को प्रशिक्षु मानकर सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत रखते हैं,वो बहुत आगे जाएंगे निसंदेह और वो कुकृतीय साहित्यितिक माला जाल फैलाने वाले समूहों के स्वार्थ भरी प्रमाणपत्रों के चेतित विध्वंशक प्रभावों से दूरी बनाए रखते हैं।
अंत में....
पटल पर *अनुभूति* के शीर्षक से मैंने जितना भी लेख प्रेषित किया है वो नए सीखने की इच्छा रखने वालों के अत्यंत लाभ कारी है।
और साहित्य के जिस तथ्य से आप रूबरू होना चाह रहे हैं आप बेहिचक कहिएगा ,,मैं उक्त तथ्य पर लेख जरूर लिखूंगा।
आत्मीय आभार
हृदय से...
दीपक झा रुद्रा
Neelam josi
21-May-2022 03:39 PM
👌👏
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Muskan khan
19-May-2022 11:40 AM
Very nice
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Neha syed
18-May-2022 08:20 PM
Nice
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